रीमा की चूत में मोनू भाई का लंड।
मेरी मौसी का लड़का मोनू हमारे घर पर मेडिकल का टेस्ट देने के लिए आया था. यूं तो मेरे पति का लंड भी मेरी चूत की खुजली मिटाने में सक्षम था लेकिन कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि मन भटक ही जाता है. मेरे साथ भी यही हुआ।
फोन की घंटी बज रही थी।
‘रीमा देख तो किसका फोन है?’ मेरी सास की आवाज़ आई।
मैंने फोन उठाया, फोन कामिनी मौसी का था।
‘नमस्ते मौसी..’
‘कैसी हो रीमा?’
‘मैं ठीक हूँ मौसी.. आप कैसी हैं? आज कई दिनों बाद फोन किया?’
‘हाँ.. कई दिनों से कुछ कामों में उलझी हुई थी। अच्छा सुन, मोनू का मुंबई में कल पीएमटी का टेस्ट है। आज वो यहाँ से निकल रहा है, शाम तक तेरे पास पहुँच जाएगा। वो पहली बार मुंबई जा रहा है.. उसका ध्यान रखना।’
‘यह भी कोई कहने की बात है.. आप बेफ़िक्र रहें.. मैं देख लूँगी।’
कामिनी मौसी मेरी मम्मी की बचपन की सहेली हैं। इत्तफ़ाक से दोनों की ससुराल एक ही शहर में है और घर बिल्कुल पास-पास हैं। दोनों में बहुत पक्की दोस्ती है। मुझे वो अपनी बेटी की तरह प्यार करती हैं।
मोनू उन्हीं का बेटा है, मेरे से करीब सात साल छोटा है।
मैं गणित में काफ़ी होशियार हूँ। मोनू अक्सर मुझसे गणित के सवाल पूछता रहता था। मोनू गणित में इतना अच्छा नहीं था। जब वो मैट्रिक में था.. तब मेरे पास ही अक्सर गणित के सवाल हल करने के लिए आता रहता था, कई बार तो हमारे घर पर ही सो जाता था।
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अब मेरी शादी हो गई और मैं मुंबई आ गई। मेरे पति बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। मेरे सास-ससुर ने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि मैं उनकी बहू हूँ.. बल्कि मुझे अपनी बेटी की तरह ही रखते हैं।
मेरे पति मर्चेंट नेवी में हैं। हमारे घर में पैसों की कोई कमी नहीं है। हमने मुंबई में दो बेडरूम का एक फ्लैट खरीद लिया है।
शाम को मोनू आ गया.. पहले की तरह अब भी वो दुबला-पतला ही था। हाँ मूछें अच्छी-ख़ासी आ गई थीं। उससे मिलकर बहुत खुशी हुई। मेरे सास-ससुर भी बहुत खुश हुए। हाथ-मुँह धो कर वो पढ़ने बैठ गया, क्योंकि सुबह उसका एग्जाम था। इसलिए मैं भी उससे कुछ ज्यादा बात नहीं कर रही थी।
रात को खाना खाने के बाद मैंने उससे कहा- पढ़ने के बाद सोने के लिए मेरे कमरे में आ जाना।
खैर.. मैं तो दस बजे अपने दो साल के बेटे को ले कर सो गई। सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मोनू सोफे पर सो रहा है।
मैंने उसे जगाना उचित नहीं समझा, पता नहीं रात को कब सोया था। उसके उठने के बाद मैंने उससे कहा- तुम सोफे पर क्यों सो रहे थे.. मेरा बिस्तर इतना बड़ा है.. उस पर क्यों नहीं सोया? तू पहले भी तो मेरे साथ ही सो जाता था।
मोनू बोला- रीमा दीदी तब मैं बच्चा था। मुझे हँसी आ गई।
मैंने कहा- अच्छा.. अब तू जवान हो गया है।
मोनू शर्मा गया।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है.. नहा-धो ले और नाश्ता कर ले। फिर मैं तुझे तेरे एग्ज़ॅमिनेशन सेन्टर तक छोड़ आती हूँ।
मैंने अपनी कार निकाली और पौने दस बजे मोनू को उसके सेंटर पर छोड़ दिया और उसे घर आने का रास्ता समझा दिया।
एग्जाम खत्म होने के बाद मोनू बहुत खुश था, उसे पूरी उम्मीद थी कि वो पास हो जाएगा।
रात को उसने कहा- रीमा दीदी मैं सुबह चला जाऊँगा।
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं, तू तीन साल बाद मिला है, अब दो-चार दिन रुक कर ही जाना।
मेरी सास ने भी कहा- तू रुक जा बेटा.. तेरी रीमा दीदी का भी मन लगा रहेगा।
मैंने कामिनी मौसी को फोन किया- मोनू चार दिन बाद आएगा।
उन्होंने कहा- ठीक है बेटी।
रात को हम सबने होटल में खाना खाया और घूम फिर कर दस बजे घर पहुँचे.. मेरा बेटा भी मोनू से बहुत घुल-मिल गया था।
ग्यारह बजे हम सभी सोने की तैयारी करने लगे।
मोनू फिर सोफे पर सोने लगा.. मैंने उसे डांट कर कहा- आज तू मेरे डबलबेड पर ही सोएगा।
मेरा बिस्तर फुल साइज़ का डबलबेड है। बेडरूम के साथ ही अटैच्ड बाथरूम है।
मैं फ्रेश होकर बिस्तर पर लेट गई। मोनू भी फ्रेश हो लिया और टी-शर्ट बरमूडा पहन कर लेट गया। हम दोनों के बीच में मेरा बेटा सो गया।
काफ़ी देर तक हम लोग बातें करते रहे।
मोनू को नींद आने लगी और वो ‘गुडनाइट’ कह कर सो गया।
चाँद की रोशनी खिड़की में से आ रही थी, इसलिए कमरे में काफ़ी उजाला था। मुझे नींद नहीं आ रही थी.. मुझे ‘उनकी’ बहुत याद आ रही थी। फोन पर तो हम हर रोज बात करते हैं.. लेकिन उन्हें मिले नौ महीने हो गए थे।
मैंने देखा कि मोनू करवट ले कर गहरी नींद में सो रहा है।
मेरे पति ने एक दिन कहा था कि रीमा मैं शुरू से ही चाहता था कि मेरी वाइफ की चूचियाँ छोटी हों लेकिन चूतड़ बड़े-बड़े हों.. इसलिए मैंने तुम्हें देखते ही पसंद कर लिया था।
मैं सत्ताईस साल की एक खूबसूरत औरत हूँ। मेरा कद पाँच फुट चार इंच है। शरीर का साइज़ 32-28-38 है। मेरे पति जब भी तीन-चार महीने के लिए आते हैं तो हम दोनों जम कर सेक्स का आनन्द लेते हैं।
मेरे बेडरूम में ड्रेसिंग टेबल रखा हुआ है। कई बार उसमें देखते हुए हम दोनों सेक्स करते हैं। सेक्स के मामले मैं में बहुत लकी हूँ।
ये सब सोचते-सोचते मैं बहुत गर्म हो गई, मेरी पैन्टी भीग गई।
मोनू एकदम बेसुध होकर सो रहा था।
मैंने अपने बेटे को साइड में किया और मोनू की बगल में लेट गई। मैं धीरे-धीरे उसके बालों में उंगलियों से कंघी करने लगी। मोनू तो बेख़बर होकर सो रहा था। मैंने उसके कानों पर धीरे से किस किया और धीरे-धीरे जीभ को उसके कानों के पीछे फिराने लगी।
मैं बिल्कुल उसकी पीठ पर चिपक गई और एक हाथ उसकी टी-शर्ट के नीचे से डाल कर उसकी छाती पर फिराने लगी। उसकी छाती पर बाल उग आए थे। मैं अपने एक हाथ को उसकी छाती पर फिराती रही और कान और गर्दन के पीछे जीभ फेरती रही।
मोनू चुपचाप सो रहा था.. उसकी कोई हरकत ना देख कर मैं रुक गई।
अचानक मोनू बोल पड़ा- प्लीज़ रीमा दीदी रूकिए मत.. बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने कहा- अच्छा तो तू जाग रहा था।
मोनू बोला- हाँ.. मैं तो बेसुध हो गया था। प्लीज़ आप वैसी ही करती रहें।
मैंने उसे सीधा किया और फिर से उसकी छाती पर हाथ फिराने लगी। अचानक मेरी नज़र उसके बरमूडे पर गई। मैंने चाँद की रोशनी में देखा कि मोनू के बरमूडे में काफी उभार आ गया था।
मुझे लगा शायद वो ठीक कह रहा था कि वो अब बच्चा नहीं रहा। मैं धीरे-धीरे छाती से नीचे हाथ ले जाते हुए उसके बरमूडे के ऊपर ले गई। मुझे एकदम से ज़ोर का करेंट सा लगा।
मैंने मोनू के कान में कहा- तू तो सचमुच बहुत बड़ा हो गया है। मैं तो तुझे बच्चा ही समझ रही थी।
मोनू कुछ नहीं बोला। मैं धीरे-धीरे अपना हाथ उसके बरमूडे के अन्दर ले गई।
ओ माय गॉड.. मोनू का लंड बहुत मोटा और लम्बा था।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि शायद यह किसी मोटी गाजर के नाप का था। मेरे ‘उनके’ लंड से लगभग आधा इंच ज्यादा लम्बा था।
मोनू का लंड मोटा तो इतना था कि मेरी मुट्ठी में बड़ी मुश्किल से आ पा रहा था।
बड़ी मुश्किल से मेरे हाथ की उंगलियां और अंगूठा मिल पा रहे थे। मेरे पति के लंड से ये करीब दोगुना मोटा था।
मैंने मोनू के कान में बिल्कुल धीरे से कहा- मोनू तेरा लंड तो बहुत बड़ा है।
मोनू मेरे मुँह से लंड शब्द सुन कर और उत्तेजित हो गया और शरमा गया। उसके इस भोलेपन और अकड़ते लंड को देख कर मैं बहुत गर्म हो गई।
मैंने धीरे से उसके कान में पूछा- मोनू कभी तूने किसी लड़की को चोदा है?
वो एकदम से शर्मा गया और धीरे से बोला- मैं तो पढ़ाई में इतना बिज़ी रहता हूँ कि कभी इस तरफ़ ख्याल ही नहीं जाता।
मैंने कहा- अच्छा तू मुठ मारता है?
‘हाँ..’ मोनू शर्मा कर बोला।
मैं हँस कर बोली- पगले.. इतना क्यूँ शर्मा रहा है.. तेरी उम्र में तो सब लड़के मुठ मारते हैं। कई तो असली चुदाई भी कर लेते हैं।
मोनू की शर्म धीरे-धीरे दूर हो रही थी।
मैं अपना मुँह उसके कान के पास ले गई और बिल्कुल धीरे से पूछा- मुझे चोदेगा?
मोनू का चेहरा लाल हो गया और कुछ नहीं बोला।
मैंने फिर से उसके कान में धीमे स्वर में पूछा- बोल न.. क्या मुझे चोदेगा?
मोनू बहुत धीरे से बोला- मुझे तो कुछ आता ही नहीं।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं सिखा दूँगी, तू बता.. चोदेगा मुझे?
वो बोला- जैसी आपकी मर्ज़ी।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। उसका शरीर दुबला-पतला था।
मुझे बहुत उत्सुकता हो रही थी कि इतने दुबले-पतले लड़के का लंड इतना बड़ा कैसे हो सकता है।
मैं उसके होंठों पर किस करने लगी। फिर मैंने उसके निप्पल पर किस किया।
अब मैं धीरे-धीरे उसके बरमूडे तक पहुँच गई और उसका बरमूडा उतार दिया।
उसका लंड उछल कर बाहर आ गया।
मेरी आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं।
आह्ह.. इतना बड़ा लंड..!
मैं तो सोच भी नहीं सकती थी। मोनू का लंड बहुत टाइट था, उसके टट्टे लंड के साथ चिपके पड़े थे। उसके सुपारे पर चमड़ी चढ़ी हुई थी। मैंने अपने होंठ गोल करके उसके लंड की टिप पर किस किया, मोनू ‘आह..’ बोल पड़ा।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- आपके नरम-नरम होंठ बहुत अच्छे हैं।
फिर मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ लिया।
उसका लंड कांप रहा था.. मैंने धीरे से उसके लंड के सुपारे की चमड़ी खींच कर हटा दी.. मोनू चिहुंक पड़ा।
जैसे ही उसके लंड की खुशबू मेरे नाक में गई, मैं मदहोश हो गई।
कितने दिन बाद लंड की खुशबू सूँघी थी।
उसका सुपारा एकदम चमक रहा था और बहुत बड़ा था।
मोनू का सुपारा मेरे पति के सुपारे से कहीं ज़्यादा बड़ा था।
मैंने अपनी जीभ सुपारे पर फिरानी शुरू की।
मोनू ने मेरे सर के बाल पकड़ लिए और बुदबुदाने लगा- ओह आह..
थोड़ी देर तक ही मैं उसके लौड़े पर जीभ फिराती रही।
फिर अचानक से मैंने अपना मुँह पूरा खोला और सुपारा मुँह में ले लिया।
मोनू ज़ोर से ‘आह आह..’ बोल पड़ा।
मोनू का सुपारा बहुत बड़ा था। मेरा पूरा मुँह भर गया।
मैंने अपने होंठों से उसके पूरे सुपारे को मुँह में जकड़ लिया और मुँह के अन्दर सुपारे पर जीभ फिरने लगी।
मोनू बहुत गर्म हो गया और वो काँपती हुई आवाज़ में बोला- ओह रीमा दीदी.. आप कितनी अच्छी हैं.. आह ओह ह अहह..
मोनू ज़ोर-ज़ोर से ‘आह आह..’ करने लगा।
मैंने एकदम से मुँह में से लंड निकाला और फुसफुसाते हुए कहा- मोनू आवाज़ धीरे कर.. सब सो रहे हैं.. जाग जाएंगे।मोनू बोला- सॉरी.. लेकिन मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं खुद को रोक ना सका।
मैं मुस्करा दी और उसकी तरफ देख कर आँख मारी..
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मोनू बोला- प्लीज़ रीमा दीदी, मेरा लंड फिर से मुँह में ले लीजिए।
पहली बार मोनू के मुँह से लंड शब्द सुन कर मैं हँस पड़ी।
उसके लंड में से प्री-कम की बूँदें निकल आई थीं।
मैंने अपने होंठों को सिकोड़ कर प्री-कम पी लिया और सुपारा फिर से मेरे मुँह के अन्दर लेकर पहले की तरह जीभ फिराने लगी।
मोनू पहली बार किसी खूबसूरत औरत से लंड चुसवा कर बहुत उत्तेजित हो रहा था।
अचानक उसने अपने चूतड़ नीचे से उठा दिए। इससे उसका आधे से ज्यादा लंड मेरे मुँह में चला गया।
मेरे गले तक पहुँच गया।
मोनू धीरे-धीरे बोलने लगा- प्लीज़ रीमा दीदी चूसिए.. ज़ोर से.. जोर से.. प्लीज़ आहह ओह अहहा.. बहुत मज़ा आ रहा है.. आप बहुत अच्छी हैं रीमा दीदी.. प्लीज़ ज़ोर से.. और ज़ोर से.. आह आह आह ह..
मुझे लगा कि कहीं जोश में आ कर मोनू मेरे मुँह में ना झड़ जाए, इसलिए मैंने लंड मुँह से बाहर कर दिया।
मोनू तड़फ़ कर बोला- ओह रीमा दीदी, मुँह से लंड बाहर क्यों निकाल दिया?
मैंने कहा- अब मेरी बारी.. तू अब मुझे मज़े दे।
मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।
मोनू आँखें फाड़-फाड़ कर मुझे देखने लगा और बोला- रीमा दीदी आप तो एकदम मॉडल जैसी सुन्दर लग रही हैं। फिर मैंने ब्रा निकाल दी.. मेरी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गईं।
मेरी चूचियाँ ज्यादा बड़ी नहीं हैं.. लेकिन एकदम सख्त हैं।
मोनू ने कहा- दीदी मैं इन्हें छू कर देख लूँ?
मैंने हँस कर कहा- तेरे लिए ही तो मैं नंगी हो रही हूँ।
मोनू खुश हो कर चूचियों से खेलने लगा, उसने अचानक से एक चूची मुँह में ले ली।
मुझे बड़ा मज़ा आने लगा.. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी।
आख़िर कई महीनों से मैं सेक्स के लिए तड़फ़ रही थी और मोनू का लंड देख कर मैं पागल सी हो गई थी।
मैंने मोनू से कहा- अब तू दूसरी चूची भी चूस ना।
वो वैसा ही करने लगा.. मोनू का मोटा लंड उत्तेजना के कारण ऊपर-नीचे हो रहा था।
मैंने सोच लिया था कि चाहे कुछ हो जाए आज तो पूरा लंड चूत में डलवाना ही है। मैंने मोनू को रोका और अपनी चड्डी उतारने लगी।
मोनू बोला- आपकी चड्डी बहुत बड़ी है।
मैंने हँसते हुए कहा- तेरा लंड बड़ा है, मेरे चूतड़ बड़े हैं।
मोनू बोला- रीमा दीदी क्या सचमुच आपको मेरा लंड बड़ा लग रहा है।
मैंने कहा- हाँ इतना मोटा और बड़ा लंड तो मैंने सिर्फ़ ब्लू-फिल्म में ही देखा है।
अब मैंने अपनी चड्डी निकाल दी।
मोनू कहने लगा- आपके चूतड़ तो बहुत बड़े और गोल हैं, एकदम गोरे हैं।
वाकयी मेरे चूतड़ काफ़ी बड़े हैं और बाहर की तरफ निकले हुए हैं।
मैं हंसने लगी।
अब मैं पूरी नंगी हो चुकी थी।
मोनू आँखें फाड़-फाड़ कर मेरे गोरे बदन को देख रहा था। उसकी हालत देख कर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं लेट गई और अपनी टाँगें चौड़ी करके कहा- मोनू अच्छी तरह से देख ले मेरी चूत को।
मोनू हैरानी से देखने लगा।
मैंने पूछा- छेद दिख रहा है?
वो बोला- हाँ.. एक बिल्कुल छोटा सा छेद है।
मैंने कहा- इसी में तेरा लंड जाएगा।
मोनू बोल पड़ा- लेकिन यह तो बहुत छोटा है।
मैंने कहा- कई महीनों से मैंने सेक्स नहीं किया है न.. इसलिए छेद सिकुड़ गया है। छेद से थोड़ा ऊपर एक आधा सेंटीमीटर का लम्बा दाना दिख रहा है?
मोनू बोला- हाँ…
मैंने कहा- यह मेरा लंड है।
वो बोला- वो कैसे?
मैंने कहा- इसे भगनासा कहते हैं.. यह औरत का लंड होता है। जब तू इसे चाटेगा, तो यह भी तेरे लंड की तरह खड़ा हो जाएगा। चल तू अब अपनी जीभ से मेरी चूत को चाट।
मोनू तुरंत चूत की तरफ झुका और एकदम से बोल पड़ा- रीमा दीदी इसमें से तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही है।
मोनू ने अपनी जीभ मेरी चूत पर टिका दी और बोला- इसका स्वाद तो नमकीन है.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वो मजे से मेरी चूत को चाटने लगा।
मैंने महीनों बाद अपनी चूत चटवाई थी सो मुझे आनन्द आने लगा।
मैंने मोनू के बाल पकड़ लिए और बोली- शाबाश मोनू.. ज़ोर-ज़ोर से चाट.. आह्ह.. शाबाश..
मैं अपने चूतड़ों को ऊपर उठाने लगी ‘आह आह.. ओह मोनू.. ऐसे ही लगा रह.. आह आह.. ऊई माँआ.. आह मोनू तू बहुत अच्छी तरह से चूत चाट रहा है.. आह आह.. मोनू मेरे लंड को चाट!
मोनू समझ गया और मेरे भगनासा को चाटने लगा।
भगनासा लंड की तरह खड़ा हो गया।
मेरा भगनासा उत्तेजित होने पर लगभग एक सेंटीमीटर लम्बा हो जाता है।
मोनू बोल पड़ा- रीमा दीदी यह तो बिल्कुल लंड की तरह खड़ा हो गया है और कांप रहा है।
मैंने कहा- अपने होंठों से इसे कसके पकड़ और चूस।
मोनू तुरंत समझ गया। मैं अपने बड़े-बड़े चूतड़ों को ऊपर उठा-उठा कर अपने लंड से मोनू का मुँह चोदने लगी। मैं तो एकदम मदहोश हो गई।
‘आह आह.. आह मोनू.. तू बहुत अच्छा लड़का है.. शाबाश ऐसे ही चूसता रह.. आह आह.. ओह बहुत मज़ा आ रहा है.. बस मैं झड़ने वाली हूँ.. मोनू ज़ोर से चूस आह.. आह बस मैं जाने वाली हूँ.. ओह मोनू आह आह.. गई मैं गई.. मोनू यस आह.. माय गॉड.. ओह माय गॉड.. मैं गई.. अहह..’
इस तरह मैं महीनों के बाद जोरों से झड़ गई।
फिर मैंने उठ कर मोनू के होंठों पर किस किया। मेरी चूत की खुशबू उसके मुँह से आ रही थी।
मोनू बोला- रीमा दीदी क्या मैंने आपको ठीक से मज़ा दिया।
मैं हँस कर बोली- हाँ.. तू तो एक्सपर्ट हो गया है।
फिर इसी तरह हम एक-दूसरे को किस करते रहे।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मोनू चल अब तू मुझे चोद!
अब मैंने अपने टाँगें चौड़ी करते हुए कहा- चल अपने मोटा लंड मेरी चूत में डाल दे।
मोनू मेरी टांगों के बीच आ गया और अपना लंड जैसे ही मेरी चूत पर टिकाया.. हम दोनों की ‘आह’ निकल गई।
मैंने कहा- मोनू थोड़ा ज़ोर लगा..
लेकिन उसका मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में जा ही नहीं रहा था।
मोनू बोला- रीमा दीदी आपका छेद बहुत छोटा सा है।
सच में मोनू का लंड मोटा बहुत था और मेरी चूत का छेद बहुत छोटा था। मोनू बार-बार घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन लंड फिसल जाता था।
मैं बेचैन हो गई और बोली- चल.. तू लेट जा.. मैं तुझे चोदती हूँ।
मैंने उसके लंड पर ढेर सारा थूक लगा दिया। थोड़ा थूक मैंने अपनी चूत पर भी लगाया। अपनी टाँगें मोनू के चूतड़ों के अगल-बगल की और उसका लंड अपनी चूत पर लगा दिया..
तभी मोनू उछल पड़ा।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।
वो शरमाते हुए बोला- आपकी चूत बहुत गरम है।
मैं मुस्कराई और धीरे-धीरे लंड पर बैठने लगी.. लेकिन तब भी लंड अन्दर जा नहीं रहा था।
‘मोनू तेरा लंड बहुत मोटा है..’ मैं बोली।
मैं फिर से मोनू के लंड पर बैठ गई और ज़ोर से धक्का लगाया।
मेरी चीख निकल गई.. मोनू घबरा कर बोला- क्या हुआ.. रीमा दीदी?
मैंने कहा- तेरा सुपारा अन्दर चला गया है.. माय गॉड तेरा सुपारा बहुत मोटा है। सुपारा अन्दर जाकर अटक गया है।
मैंने उसके सुपारे को चूत में ही फँसा रहने दिया। सच में मेरी तो जान सी निकल गई। मेरे मोटे चूतड़ 6 इंच हवा में ऊपर उठ गए थे।
फिर हिम्मत करके मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए, मुझे दर्द के साथ मजा आने लगा।
करीब तीन इंच लंड अन्दर चला गया था। मुझे लग रहा था कि जैसे कोई मूसल मेरी चूत में घुस रहा हो।
उधर मोनू आँखें बंद कर सिसकारियां ले रहा था ‘ओह रीमा दीदी.. आपने यह क्या कर दिया है.. बहुत मज़ा आ रहा है।’
उसकी बातों से मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई, मैंने पूरा ज़ोर लगा कर एक ज़ोर से धक्का लगाया।
इसके साथ ही मेरी ज़ोर की चीख कमरे में गूँजी। उसका मूसल लंड, पूरे का पूरा मेरी चूत में घुस गया था।
मोनू बोला- क्या हुआ आप इतनी ज़ोर से क्यों चीखीं?
मैंने कहा- तेरा लंड इतना मोटा और लंबा है कि मेरी तो जान निकल गई।
थोड़ा आराम मिलने के बाद मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए।
अब मुझे बड़ा मज़ा आने लगा। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, मेरे बड़े-बड़े गोरे-गोरे चूतड़ 6 इंच ऊपर-नीचे होने लगे।
मैंने कहा- मोनू दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ ले और ऊपर-नीचे कर।
मैंने घूम कर ड्रेसिंग टेबल के आईने में देखा तो मेरी साँस रुक गई।
मेरी चूत का छेद बहुत चौड़ा हो गया था और उसमें मोनू का मोटा सा लंड फंसा हुआ था।
मैं जन्नत में सैर करने लगी और मैंने पूछा- मोनू कैसा लग रहा है.. अपनी रीमा दीदी को चोदते हुए?
‘बड़ा मज़ा आ रहा है..’ मोनू बोला।
मैं झुक कर उसके होंठों पर और गर्दन पर किस करने लगी। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगी। थोड़ी देर बाद मेरी चूत सिकुड़ने लगी और मोनू के मोटे लंड को कसने लगी।
अचानक मोनू मेरे कान में धीरे से बोला- रीमा दीदी.. मेरा निकलने वाला है।
मैंने कहा- मैं भी झड़ने वाली हूँ।
मेरी चूत ने मोनू के लंड को बुरी तरह से जकड़ लिया।
मैं बोली- मोनू मेरी चूत में छोड़ दे पिचकारी.. अपने चूतड़ को ऊपर उठा ले और मार पिचकारी.. शाबाश मोनू।
मोनू ने अपने चूतड़ ऊपर उठाए और ज़ोर से चिल्लाया- आह्ह.. रीमा दीदी मैं गया.. और उसने एक जोरदार पिचकारी मेरी चूत में मार दी।
मैंने मोनू का गर्म-गर्म वीर्य अपने प्यासी चूत में महसूस किया। उसके बाद रुक-रुक कर उसके लंड ने चार-पाँच बार पिचकारी मारी।
मेरी आँखें बंद हो गईं और ज़ोर-ज़ोर से चीखते हुए बोली- आह्ह.. मोनू.. मैं भी जा रही हूँ.. आह ओह आहा ऊउ माँआ.. मैं गई.. ओह ओह.. बस बस.. गई ओह मोनू.. तूने तो आज अपनी रीमा दीदी को जन्नत की सैर करा दी.. मैं आने वाली हूँ ओह.. ओह आहा ओईए माँ ओईईए माँ ओह अहह.. मैं गई मोनू..’
मैंने मोनू को कस कर दबोच लिया और झड़ गई।
कई मिनट तक मैंने मोनू का लंड चूत में ही रहने दिया।
जैसे ही मैंने अपने चूतड़ ऊपर किए.. लंड चूत में से बाहर निकल गया और मेरी चूत में से वीर्य निकल कर मोनू की झांटों में गिर गया।
मैं हैरान रह गई कि इतना सारा वीर्य!
मैंने पूछा- मोनू, तूने कबसे मुठ नहीं मारी थी?
मोनू बोला- करीबन एक महीने से..
‘ओह तभी तेरा इतना वीर्य निकला..’ मैंने उसे किस किया और कहा- आज तूने मुझे बहुत मज़ा दिया।
मोनू बोला- रीमा दीदी अपने भी तो मुझे इतना मज़ा दिया.. जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था।
मैं हँसी और कहा- बाथरूम में हेयर रिमूवर पड़ा है.. कल तू नहाने से पहले अपनी झांटें साफ कर लेना।
उसके बाद हम दोनों बाथरूम में जा कर फ्रेश हुए और सो गए।
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