नादान लड़के का जवान lund
अंजली।
मेरी सेक्स की हवस इतनी ज्यादा है कि मेरी निगाहें हर वक्त जवान लड़कों मर्दों पर टिकी रहती हैं. मेरे पड़ोस की आंटी के दो बेटे जवान हो चुके थे और मैं उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाना चाह रही थी.
मेरे पति के पास टाइम नहीं था; वह सिर्फ पैसा कमाने के पीछे दौड़ता रहता और मैं नए नए लोगों से अपनी आग बुझाने को तड़पती।
अब ये मेरा रूटीन हो चुका था।
एक के बाद एक मैं नए लन्ड लेती गई।
और इसी से मेरा जी भरता।
हमारे घर के सामने वाले घर में एक परिवार है जिसमें पति, पत्नी और उनके दो जवान बेटे!
राधा भाभी घर पे रहती, उनके पति जिग्नेश जी जॉब करते और दोनों बेटे कॉलेज में पढ़ते थे.
उनमें बड़ा था हितेश और छोटा ईशान।
जब मैं अकेली घर में बोर होती तो राधा भाभी के पास जाकर गप्पें लड़ाती।
राधा भाभी अधेड़ उम्र की संस्कारी एकदम घरेलू महिला थी।
मैं कभी कभी उनसे मजाक में चुदाई की बातें करती तो वे शरमा जाती।
लेकिन मेरी नजर थी उनके बेटों पर!
दोनों एकदम जवानी की दहलीज पर थे। एकदम गोरे चिट्टे, उन्नीस इक्कीस की उम्र, ताज़ा ताज़ा ही मूंछ उगने वाली सूरत के!
ज्यादा हट्टे कट्टे नहीं थे मगर 5’6″ हाइट के बांके जवान थे।
जब भी मैं उनके घर जाती तो ईशान यानि छोटा वाला मेरी तरफ देखता और मेरे मम्मे घूरने लगता।
मैं हूँ भी ऐसी हॉट!
ज्यादातर मैं साड़ी पहनती और गहरे गले वाला ब्लाउज जिसमें आगे से मेरे सुडौल स्तनों की झलक दिखती और पीछे से एक ही पट्टी रहती जिससे मेरी पीठ नंगी हो जाती।
34-28-36 की साइज में मैं पतली सी साड़ी में कहर बरपाती।
मैं हमेशा साड़ी को नाभि के नीचे पहनती।
फिट पेटिकोट पहनने से मेरी टाइट जांघों का आकार, मेरे तने हुए तरबूजों से चूतड मुझे और भी मादक बना देता।
ईशान ज्यादातर घर पर ही रहता तो आते-जाते मेरी उसकी मुलाकात होती।
कुछ दिन देखा देखी के बाद मुझे लगा कि ईशान मेरे जाल में फंस सकता है।
क्यों न अब यह कच्चा लन्ड आजमाया जाए!
वह भी एकदम जवान होने लगा था तो उसकी तरफ से ज्यादा आनाकानी न होने का चांस था।
अब जब भी मैं ईशान के सामने जाती, जानबूझ कर उसे शक की नजर से देखती और शरारती मुस्कान दे जाती।
जवाब में ईशान भी मुझे देख कर मुस्कुराता।
मैं अब जान गई कि लोहा गरम है तो हथौड़ा मारने का मजा लेना चाहिए।
आप जानते हैं कि मैं मर्दों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देती, बल्कि मैं मर्दों के ऊपर हावी होने वाली औरत हूं।
एक दिन मैं अपनी स्कूटी लेकर बाहर गई हुई थी।
तो आते आते मुझे ईशान घर की ओर चलते जाते दिखा।
मैंने स्कूटी रोककर उसे बैठने को कहा।
वह मेरे पीछे बैठ गया।
अब मैं उससे बातें करने लगी।
मैंने उसे पढ़ाई के बारे में, कॉलेज के बारे में पूछा।
वह भी मुझे सब बता रहा था।
फिर ईशान ने मुझे अपना नंबर मांगा।
मैं सुनकर चौंक गई, ईशान तो मुझसे ज्यादा तेज निकला।
वह मुझे अंजू भाभी बुलाता था।
उसने कहा- अंजू भाभी, मुझे आपका नंबर चाहिए।
मैंने पूछा- क्यों भला?
उसने कहा- अरे दीजिए न मेरी भाभी, आपसे कुछ बात करनी है।
मैंने कहा- क्या बात है? ऐसे नहीं कर सकता?
ईशान बोला- अरे भाभी, हमारी ऐसे बात ही कितनी होती है? मम्मी होती है तो मैं ज्यादा कुछ बोल ही नहीं पाता। दीजिए ना आपका नंबर प्लीज!!
“अच्छा ऐसा क्या बोलना है जो नंबर चाहिए तुझे?” मैं उसके साथ शरारत करने लगी।
उसने रोती सूरत में कह दिया- ठीक है, नहीं देना चाहती तो मत दीजिए।
मैं जान बूझ कर उसे चिढ़ाने में लगी हुई थी।
उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर मुझे हंसी आ रही थी।
हम घर तक पहुंचे।
वह उतरते ही मुझसे बिना बात किए निकल गया।
मैंने उसे आवाज लगाई मगर वह गुस्से में नहीं रुका।
मैं भी घर जाकर फ्रेश हो गई और कुछ समय बाद राधा भाभी के घर गई।
भाभी हॉल में टीवी देख रही थीं।
उनसे कुछ बात करने के बाद मैंने ईशान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह अपने रूम में है।
मैंने भाभी को बोला- मेरे मोबाइल का कुछ प्रोब्लम है तो ईशान से ठीक करवाना है।
भाभी ने ईशान को आवाज देकर बुलाया।
मुझे देखकर ईशान बिल्कुल मुंह लटकाए खड़ा हुआ।
मैंने उसे देख कर एक कातिलाना स्माइल दे दी।
उसे मैंने बताया कि मेरा मोबाइल चल नहीं रहा, इसे ज़रा देख लो।
वह मेरे करीब आकर बैठ गया।
मैं उस वक्त ब्लैक स्लेवलेस ब्लाउज और गुलाबी साड़ी में थी।
मैंने साड़ी का पल्लू मेरी कमर के पास पेटिकोट में खोंसा हुआ था। बालों का जूड़ा बांधके एक लट मेरी गाल पर रेंग रही थी।
ईशान का ध्यान मेरे बदन से हट ही नहीं पा रहा था।
मैंने उसे चुटकी लगा कर जगा दिया और डायल पैड ओपन करके मोबाइल उसके हाथ में थमा दिया और उसके तरफ देखती हुई हंस रही थी।
उसका लटका हुआ मुंह एक झटके में बदल गया।
चॉकलेट मिलने से जैसा एक बच्चा खुश होता है बिल्कुल वैसे ही उसके चेहरे पर खुशी थी।
उसने झट से अपना नंबर डायल कर के सेव कर दिया।
उसे पता था कि अंजू भाभी जल्द ही उसे कॉन्टैक्ट करेगी।
अपनी मम्मी के सामने नाटक करते हुए वह बोला- भाभी, ये लीजिए आपका मोबाइल बिल्कुल ठीक हो गया।
मैंने उसे थैंक्स बोल दिया।
फिर मैंने भाभी को बोलते हुए ही ईशान को व्हाट्सएप पर मेसेज कर दिया।
ईशान ने एक पल कि देर किए बिना मुझे स्माइली भेजी।
मैंने उसे रात को बात करने को बोलकर बाय कह दिया।
रात को खाना खाने से पहले ही इशन के मेसेजेस मुझे आये।
मगर मैंने उसे रिप्लाई नहीं दिया।
मैं उसे और उत्सुक करना चाहती थी।
खाना खाने के बाद मैंने उसे मेसेज किया।
वह तो ऑनलाइन ही प्रतीक्षा कर रहा था।
हम बातें करते गए।
उसने सीधा मेरे बदन की तारीफ करना शुरू किया।
मेरी उम्मीद के खिलाफ वह सीधा मुझे मेरी चूचियां, गांड और चूत की बात करने लगा।
मैंने उसे पूछा- अच्छा तो ये बात करनी थी मेरे रोतलू को?
ईशान ने कहा- अंजू भाभी, ये रोतलू क्या है?
“जब मैंने नंबर नहीं दिया था, तब कैसा मुंह हो गया था? पता है मुझे!” मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
“मुझे बात करनी थी आपसे और आप भाव खाने लगी थी।” ईशान बोला।
“मैं और भी कुछ खाती हूं मेरा बच्चा!” मैंने बोल दिया।
“बच्चा नहीं हूं मैं, भाभी!” उसने लाड़ में आकर कहा।
“मैं कैसे मान लूं? मुझे तो तू बच्चा ही लगता है मेला रोतलू!” मैंने उसे छेड़ दिया।
ईशान- कभी मौका देकर देख मेरे सपनों की रानी भाभी, फिर देख ये छोकरा कितना जवान हुआ है।
मैं- अच्छा सपनों की रानी? क्या मैं सपने में आती हूं तेरे?
ईशान- हां, रोज आती है मेरी प्यारी भाभी।
मैं- फिर क्या क्या होता है?
ईशान- फिर क्या मेरी चड्डी गीली हो जाती हैं। और दिन में तुम्हारे नाम की मुठ मारे बिना जी नहीं लगता भाभी जान!
मैं- अच्छा मतलब हाल बेहाल है मेरे रोतलू का?
ईशान- अंजू भाभी, आई लव यू! सिर्फ एक मौका चाहिए यार, बहुत खुश कर दूंगा तुम्हें!
मैंने सोचा अब बच्चे को और सताना ठीक नहीं होगा।
“ठीक है मेला बच्चा … दूंगी मौका तुम्हें!” मैंने जवाब दिया।
इस पर ईशान बहुत खुश हुआ और मुझे लव की ईमोजी भेजने लगा।
जवाब में मैंने भी उसे एक किस का इमोजी भेजा।
ईशान बोलने लगा- भाभी जान आज की रात मेरी सबसे बढ़िया रात है। मैं बहुत बहुत बहुत खुश हूं अंजू भाभी!
मैंने शरारत करते हुए कहा- यानि आज भी चड्डी गीली करनी है मेरे बच्चे को?
ईशान बोला- क्या करूं भाभी जान, आज तो नींद ही नहीं आयेगी शायद!
मैं बोली- तो आ जा मेरे पास लोरी सुना दूं!
“सच में आ जाऊं अंजू भाभी?” उसने झट से कहा।
मैंने कहा- रुको मेरे बच्चे, इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं है। सब्र करो, बहुत ही मीठा फल दूंगी मैं तुम्हें।
ईशान ने कहा- ठीक है मेरी जान अंजू भाभी। मगर आज रात का क्या। मुझे तो कंट्रोल नहीं हो रहा। क्या करूं मैं आप ही बताइए?
मैंने कहा- एक तरीका है मेरे पास!
ईशान बोला- जल्दी बोलो भाभी जान, मेरे बदन में आग लगी है।
मैंने उसे कहा- जल्द से अपने बाथरूम में जाओ।
वह उठ कर बाथरूम में गया।
इधर मैं भी अपने बाथरूम में घुस गई।
अब मैंने उसे वीडियो कॉल लगाने को कहा और मोबाइल सामने कैमरा करके रखने को बोला।
उसने भी वैसा ही किया।
अब हम वीडियो कॉल पर थे।
मैंने उसे कॉल म्यूट करने बोला ताकि हमारी आवाज बाहर न आए।
मैं एक पतली सी नाइटी पहनी हुई थी और ईशान शॉर्ट और बनियान में।
मैंने भी मोबाइल का कैमरा आगे सेट किया।
अब हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।
मैंने उसे इशारा करते हुए अपनी शॉर्ट निकालने को कहा।
उसने शॉर्ट नीचे सरका दी।
तो ईशान का खड़ा लन्ड मेरे सामने नंगा हो गया।
मैं देखकर थोड़ी दंग रह गई।
उसका लन्ड मेरी कल्पना से बड़ा निकला।
छह इंच के करीब होगा और काला और मोटा भी!
उसके लन्ड और टट्टों पर हल्के हल्के बाल थे।
अब उसने मुझे अपनी नाइटी खोलने को कहा।
मैंने नाइटी खोल के नीचे खींच दी, और मेरे नंगे बूब्स उसे दिखा दिए.
मेरे गदराये गोल मटोल मम्मे देख कर वह मुझे फ्लाइंग किस देने लगा।
अब मैंने उसे अपना लन्ड पकड़ कर हिलाने को कहा।
मुझसे सेक्सी बातें करके और मेरी छाती देख कर वह एकदम मस्त हो गया था।
मैं भी उसके सामने अपने चूचे मसलने लगी।
इससे वह और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा।
अब ईशान ने मुझे अपनी चूत दिखाने को कहा।
मैंने कॉल को अनम्यूट करते हुए उसे कहा कि यह तुम्हारा सरप्राइज है और ये मैं बाद में दिखाऊंगी। तुम अपना काम शुरू रखो।
वह थोड़ा सा मायूस हुआ लेकिन फिर उसने मुठ मारना शुरू किया।
कुछ ही देर में वह झड़ने लगा।
बाथरूम की दीवार तक वह पिचकारियां छोड़ कर फारिग हो गया।
उसे झड़ते देख मेरी चूत भी मुझे उकसा रही थी।
मगर मैंने कुछ देर तक अपने आप पर काबू रखा।
हमारी बात खत्म हुई और मैंने वीडियो कॉल बंद करके उसे बाय कह दिया।
उसे और उत्तेजित करने के लिए ही मैंने उसे अपनी चूत नहीं दिखाई थी।
तब उसे बाय करने के बाद मैंने भी अपनी चूत में उंगली डाल कर अपने आप को शांत किया।
अब बारी थी ईशान से चुदवाने की!
कुछ दिन तक हमें अच्छा मौका नहीं मिल रहा था।
इसी बीच मेरा ईशान के घर आना जाना बढ़ गया और अब ईशान भी मेरे घर आने लगा।
उसकी मम्मी जब मेरे यहां आती तो वह किसी न किसी बहाने से आ जाता।
मेरे सास-ससुर से भी वह बातें करता।
एक दिन मैं दोपहर को किचन में सफाई कर रही थी और अचानक ईशान पीछे से आकर मुझसे लिपट गया।
सास ससुर घर पर होने से मैं डर गई।
मैंने ईशान को चले जाने को कहा.
मगर वह आज सुनने वाला नहीं था।
उसने मेरे बूब्स पकड़कर मसल दिए।
मैंने उस वक्त एक पतला सा रेशमी गाउन पहना हुआ था।
बिना ब्रा के उसके हाथ का स्पर्श सीधे मेरे बूब्स पर होने का अहसास होने लगा जिससे मैं भी गर्म होने लगी।
मैंने झटक कर उसे अलग किया और चुपके से उसे अपने बेडरूम में ले गई।
आज ईशान के दिमाग पर मेरी चूत का भूत सवार था, तो मैं भी उसे निराश नहीं करना चाहती थी।
मगर सास ससुर का डर था मुझे!
कमरे में ले जाकर मैंने उसे समझाया- मैं सासू मां को बोलकर आती हूं, तब तक चुपचाप यहां बैठे रहना!
मेरा बेडरूम दूसरे माले पर था और सास ससुर नीचे ग्राउंड फ्लोर के कमरे में रहते।
मैं सासू मां के कमरे में गई और उन्हें बताया कि मेरे बदन में दर्द है तो मैं सोने जा रही हूं।
सासू मां ने ‘ठीक है’ बोल दिया।
अब सासू मां ऊपर आने की उम्मीद नहीं थी इसलिए मैं अब बेफिक्र होकर ईशान से चुदवा सकती थी।
मैं मेरे कमरे में गई।
मैंने टीवी चलाया और हल्का सा वॉल्यूम बढ़ा दिया ताकि कुछ आवाजें आई तो कोई प्रोब्लम ना हो।
अब मैंने ही खुद ईशान पर हमला बोल दिया; दरवाजा बंद करके मैं ईशान से लिपट गई।
ईशान टी शर्ट और जीन्स पहने हुए था।
मैंने उसे कस के पकड़ लिया।
पहले उसके माथे पर चूमा, फ़िर उसकी पलकों को, फिर उसके गालों पर आते हुए मैंने उसके होटों से होंट मिलाकर चुम्मी दी।
मैं उसके कानों पर चूमने लगी और जीभ से चाटने लगी।
अब मैंने उसकी शर्ट उतारी और उसके सीने पर जीभ फेरने लगी।
ईशान बिल्कुल अलग ही दुनिया में खो चुका था।
उसका बदन एकदम गर्म होने लगा।
यह उसका किसी औरत के साथ पहला रोमांटिक पल था।
उसके सीने पर छोटे छोटे बाल आने लगे थे।
मैंने उन पर जीभ फेरते हुए अब उसके निप्पल को मुंह में ले लिया।
ईशान एकदम से झनझना उठा।
अब मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया।
उसका लन्ड एकदम कड़क होकर फनफना रहा था।
साथ ही उसके लन्ड से प्रीकम निकल रहा था जो मेरे हाथ में भी लग गया।
अब मैंने उसकी जीन्स नीचे सरका दी और नीचे बैठ कर उसके चड्डी के ऊपर से ही लन्ड को दांत से काट दिया।
ईशान एकदम कसमसा उठा।
“अंजू भाभी, मेरा बदन कांप रहा है, कुछ कीजिए।” ईशान बोल पड़ा।
मैंने कुछ कहे बिना चड्डी उतार दी और लन्ड को मुंह में भर लिया।
उसका लन्ड … हे भगवान! इतना गर्म था मानो मैंने कोई जलता हुआ कोयला मुंह में ले लिया।
उसे मैंने अपने थूक से गीला कर दिया और अब उसे चाटने लगी।
मैंने उसकी चमड़ी को पीछे करके उसका सुपारा मुंह में ले ही लिया कि ईशान जोर से कराहते हुए झड़ गया।
उसने मेरे सर को पकड़ कर अपने लन्ड पर दबा दिया और “भाभी, आई लव यू मेरी जान” कहते हुए पूरा मेरे मुंह में रस छोड़ने लगा।
मैंने चूसते हुए ही उसका सारा वीर्य पी लिया और उठकर उसे लिप लॉक कर के शांत कर दिया।
हम नंगे ही बेड पर बैठ गए। अब ईशान सामान्य हो गया। और मेरी बाहों में चिपक गया। मैंने उसे अपने सीने से लगा कर उसकी पीठ सहला दी जिससे उसकी धड़कने सामान्य हो गई।
मैं जोर जोर से हंस रही थी। और ईशान मुंह लटकाए बैठा था।
“क्या हुआ मेरे बच्चे को? हाथ लगाते ही फरिग हो गया मेरा बच्चा।” मैं उसे छेड़ने लगी।
वह मेरे सीने से लिपट कर कहने लगा,”भाभी, मेरा ये पहली बार था। और आप तो मास्टर ब्लास्टर निकली इस खेल की। क्या करता मैं? एक्साइटमेंट में हो गया खाली।” उसने रोती सुरत में कहा।
“कोई बात नहीं। मैं सीखा दूंगी मेरे बच्चे को बस। मेला प्याला बच्चा।” मैंने उसे समझाते हुए कहा।
मैं उसे और सहज करना चाहती थी। तो मैंने उसे अपने सीने से लगा कर उसे लिप किस करते हुए उसके बालों में हाथ घुमाने लगी। अब ईशान भी मुझे पूरा सहयोग देने लगा। उसने मेरे बालों का जुड़ा खोलकर मेरे बाल खोल दिए और मेरे होटों को चूमता हुआ मेरी जुल्फों से खेलने लगा।
अब ईशान ने मेरी गाउन को उतार दिया। मैं अब सिर्फ एक चड्डी में आ गई।
अब मैंने उसका एक हाथ पकड़ मेरी चड्डी में डाल लिया।
मेरी फुद्दी गीली हो चुकी थी तो उसका हाथ लगते ही मैं भी सिहर उठी।
अपने कूल्हे उठाकर मैंने चड्डी निकाल दी, अब ईशान के आगे मैं एकदम नंग धड़ंग हो गई।
वह मुझे देखता ही रह गया।
“अब मेरे बच्चे को उंगली करना सिखाती हूं।” मैंने कहा।
उसने कहा- भाभी, मुझे बच्चा मत बोलिए न! मैंने देखा है ब्लू फिल्मों में, मैं कर लूंगा।
मैंने कहा- अच्छा तो देखते हैं अभी!
मैं बेड पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दी।
ईशान पास आया और बीच वाली उंगली मेरी चूत में घुसा कर उसे आगे पीछे करने लगा।
मैंने उसे मेरे रस से भरी उंगली चाटने को कहा।
उसने चाटते हुए कहा- वाह भाभी, क्या टेस्ट है आपकी चूत का!
मैं बोली- तो उंगली से क्यों सीधा मुंह से चूस ना अपनी भाभी की मुनिया!
वह झट से अपना मुंह लेकर मेरी जांघों में आ गया और जीभ निकाल कर मेरी चूत को ऊपर से चाटने लग गया।
मैंने उसे जीभ अंदर तक घुसा कर चूसने को कहा।
वह मेरी हर बात को स्वीकार करता हुआ मुझे आनन्द देने में लग गया।
अब वह भी मजे लेते हुए मेरी चूत चाटने में लग गया।
फिर मैंने उसका सर अपने दाने पर लगाया और उसे मुंह में लेने को कहा।
उसने मेरे दाने को मुंह में लेकर चूसना और काटना शुरू किया।
मैं पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी।
बहुत देर से चलते हमारे इस खेल से मैं भी अब चरम सीमा सीमा तक पहुंच गई थी।
मैं जोर जोर से उसका सर अपनी चूत पर दबाने लगी और कुछ ही पलों में मेरी चूत का बांध टूट गया।
मैंने अपने चूतड़ उठाते हुए चूत से फव्वारा छोड़ दिया।
ईशान मुंह हटाने की कोशिश करने लगा मगर मैंने कस के उसका मुंह पकड़ रखा।
जितना हो सका उतना मेरा पानी वह पी गया और उसने अपना मुंह बंद किया।
अब उसे मैंने अपने ऊपर चढ़ा लिया।
“ईशान मेरे मम्मों से खेलो बेटा!” मैंने बोला।
वह मेरे गोल गोल मम्मे दबाने लगा, वह अब मेरे चूचुक मुंह में भर कर काटने लगा।
मुझे एक बीस साल के लौंडे के साथ यह अनुभव काफी मजा देने लगा था।
मैं बहुत खुश थी।
आज मैं एक कच्चा लौड़ा लेने वाली थी।
ईशान के लन्ड की सील आज मेरे चूत से खुलने वाली थी।
ईशान भी बहुत खुश था।
आज उसने अपनी प्यारी अंजू भाभी को अपने नीचे नंगी लिटाया हुआ था।
अब मैंने ज्यादा देर ना करते हुए उसके टट्टों को सहलाना चालू किया जिससे उसका लन्ड खड़ा होने लगा।
मैंने उठकर ईशान को बेड पर खड़ा किया और उसका लौड़ा मुंह में भर लिया, उसे थूक लगाकर गीला कर दिया।
उसे मैंने ज्यादा नहीं चूसा, मुझे डर था कि वह अति-उत्तेजना में झड़ ना जाए।
मैं फिर से लेट गई और टांगें चौड़ी करके ईशान को इशारा कर दिया।
ईशान एक पल रुका और बोला- भाभी, प्रोटेक्शन लाना भूल गया।
मैंने हंसकर बोला- इसीलिए मैं बच्चा कहती हूं तुझे!
वह बोला- अब क्या करें?
मैंने उसे ड्रॉअर से एक कंडोम निकालने को बोला।
उसे लेकर मैंने ईशान के लन्ड पर लगाया।
अब मैंने उसका लन्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुख पर लगाया और ईशान ने एक जोर का धक्का लगा दिया।
एक धक्के में ही उसका कच्चा लन्ड मेरी फूली हुई चूत में घुस गया।
मेरी चूत न जाने कितने किस्म के लौड़े खा चुकी थीं तो इस कच्चे लन्ड को उसने आसानी से अपने अंदर समा लिया।
मैंने अपनी टांगें ईशान की टांगों में फंसा दी और उसके हर एक धक्के का दिल खोल कर स्वागत करती हुई अपनी फुद्दी मरवा रही थी।
ईशान कच्चा खिलाड़ी था तो वह ज्यादा कुछ जानता नहीं था।
मैंने उसके हाथ अपने मम्मों पर रख कर दबाने को कहा।
वह धीरे धीरे से झटके लगा रहा था।
मैं अपने चूतड़ उठा कर उसके धक्के अंदर तक लेने की कोशिश करती।
उसकी स्पीड अब बढ़ गई और वह जोर जोर से मुझे चोदने लगा।
मैंने उसके होंठों से होंठ मिला लिए और चूमने लगी।
मेरी उम्मीद की मुताबिक वह अब झड़ने वाला था।
उसने तेज तर्रार धक्के लगाए और वह कंडोम में ही झड़ गया।
झड़ कर ईशान ने कंडोम निकाला और लन्ड मेरे मुंह में भर दिया।
मैंने उसका वीर्य चाट कर लन्ड साफ कर दिया।
तब मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया।
मैं उसकी आंखों में आंखें डालकर उसे देख रही थी और प्यार से उसके माथे, नाक, आंख जहां हो सकता वहां संतुष्टि से भरे चुम्बन दे रही थी।
मैंने जितने भी लौड़े लिए उन सब में ये मुझे बहुत ही प्यारा लगा था।
मुझे ईशान से ना जाने क्यों मोहोब्बत सी हो गई थी।
ना तो उसने मुझे देर तक पेला ना ही उसने वहशी की तरह मुझे चोदा.
मगर उसकी मासूमियत और नादानी की मैं दीवानी हो गई।
ईशान मेरे ऊपर लेट कर मुझे एक टक देख रहा था।
वह उस बच्चे की तरह खुश था, जिसे उसकी मनपसंद खिलौना मिला हो।
और हो भी क्यों न उसके कुंवारे लन्ड का आज फीता कटा था … और वह भी उसके सपनों की रानी अंजू भाभी की चूत से!
मेरा दिल भी भावनाओं से गदगद हो गया था।
दोस्तो, एक औरत के लिए सेक्स मतलब सिर्फ जोर जोर से चोदना या ज्यादा देर तक टिकना या बड़ा- लंबा लन्ड, रोज चुदवाना यही नहीं होता।
औरत को जब दिल से मजा देने वाला मर्द मिल जाता है, वहीं पे औरत तृप्त हो जाती है।
और यह तृप्ति उसे कोई ईशान जैसा नादान लड़का, हट्टा कट्टा मर्द या कोई उम्रदराज आदमी भी दे सकता है.
वहीं औरत संतुष्ट हो जाती है।
मैं बिल्कुल ईशान में खो गई थी।
अब मैंने ईशान को पीठ के बल लिटाया और मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसे प्यार करने लगी।
मैं उसकी छाती पर सर रखकर सो गई।
लगभग आधे घंटे तक मैं वैसे ही सोई रही।
उसके बाद उठकर ईशान चला गया।
मैं नंगी ही लेटी पड़ी थी लेकिन मैं अभी तक ईशान में खोई हुई थी।
मेरे दिमाग में और आंखों के सामने वहीं सब चित्र रेंगने लगे थे।
मैं उठकर नहाने गई और नहा धोकर फ्रेश हो गई।
मैंने मन बनाया कि मुझे ईशान से एक और बार आज ही चुदना है।
मगर आज तो यह मुमकिन नहीं था।
मेरे पति आने वाले थे तो मैंने अपना मन मारकर रख दिया और फिर किसी दिन फुरसत से ईशान को अपने ऊपर चढ़ाने का विचार किया।
फिर मैंने कब, कैसे नादान ईशान को अपनी सवारी कराई ये अब अगली बार आराम से बताऊंगी।
तब तक के लिए आपसे विदा लेती है आपकी प्यारी अंजू भाभी.