मेरे चोदू समधी जी

मेरे चोदू समधी जी

 

मेरा नाम कविता मिश्रा है, मैं 42 साल की हूँ. मैं बनारस की रहने वाली हूँ। मेरे पति बैंक में जॉब करते है, मेरी बेटी 20 साल की है आँचल, उसकी शादी भी तय है।

 

यह हिन्दी पोर्न स्टोरी मेरे साथ मेरे नए बने समधी जी की चुदाई की है, मैंने मेरे समधी जी के कहने पे लिखी है। आप लोग कहानी का आनन्द लें।

 

मैं अपने बारे में बता दूँ मैं बहुत सेक्सी औरत हूँ दिखने में भरे पूरे शरीर की हूं, मेरी चुचियाँ बहुत बड़ी हैं, मेरी नाभि बहुत गहरी और सेक्सी है।

 

कुछ महीनों बाद मेरी बेटी की शादी हो गयी। वो अपने घर चली गयी। घर पर मैं अकेली रह जाती हूँ। अपना टाइम नेट पे बिताती हूँ।

 

मेरे पति अब मेरी बहुत कम चुदाई करते थे। मैं परेशान रहती थी।

 

मैं अपने समधी और समधन के बारे मैं बता दूँ। मेरे समधी 45 साल के हैं, समधन 43 साल की है।

 

एक दिन रात को वॉट्सपप पे मैं अपने समधी जी से चैट कर रही थी, बातें हो रही थी। इसी तरह हम लोग रोज बात करते रहे. धीरे धीरे हमारी बातें बहुत सेक्सी होने लगी।

 

एक रात को करीब एक बजे हम चैट कर रहे थे। हम लोग बातें करते करते इतने खुले विचारों के हो गए कि खुले आम सेक्स की बाते भी करने लगे। मैं जब भी उनसे बात करती, अपनी चूत को मसलने लगती।

एक दिन उन्होंने अपने लंड की पिक भेज दी मुझे… मैंने देखा कि उनका लंड मेरे पति से बहुत बड़ा मोटा था।

 

‌मैंने लिखा- इसको इतने बड़े समधन जी कैसे ले लेती हैं अपने अंदर?

वो हँसने लगे।

मैंने भी उनको अपनी चुचियों की पिक भेज दी, मेरी चुची देख कर वो तो पागल से हो गए।

 

कुछ दिन बाद वो अचानक मेरे घर आये, जिस दिन आये मेरे पति घर पर थे, वो मेरे पति से बाते कर रहे थे और मुझे देख रहे थे।

मेरे पति ने उन्हें रात को रोक लिया।

 

रात को मैं उन्हें खाना खिला रही थी, मैंने नाइटी पहनी हुई थी। ‌वो मेरी चुचियों को देख रहे थे।

रात को हमने उन्हें एक कमरे में सुला दिया।

 

सुबह मेरे पति बोले- मुझे आज जल्दी काम है, मैं बैंक जा रहा हूँ, तुम समधी जी से कह देना।

वो बैंक चले गए।

 

मैं नहायी धोयी और एक पिंक साड़ी पहनी जिसमें मैं बहुत मस्त लग रही थी।

 

तब मैंने समधी जी के कमरे में जाकर उनको उठाया।

‌कुछ देर बाद वो नहा कर तैयार हुये और मुझसे बातें करने लगे।

उन्होंने पूछा- समधी जी कहाँ हैं?

मैंने बताया- उन्हें आज जल्दी बैंक जाना था तो वे बैंक चले गये.

 

मेरे समधी मुस्कुराने लगे।

 

कुछ देर बाद मैंने उन्हें नाश्ता कराया. फिर मैंने कहा- आप मेरे बेड रूम में आराम कर लीजिये.

वे बिना कुछ बोले मेरे बेड रूम में लेट गए।

 

अपना सारा काम निपटा कर मैं कुछ देर बाद उनके साथ बेड पर ही बैठ गयी।

‌‌तभी मेरे समधी जी ने मुझे पकड़ कर लिया और अपने साथ बिस्तर पर लिटा दिया, अपने होंठों से मेरे नर्म होंठों को चूसने लगे, मैं भी उनका साथ दे रही थी।

उन्होंने मेरे पल्लू को हटा दिया और मेरी बड़ी चुचियों को पिंक ब्लाऊज के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगे.

मैं उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी।

‌कुछ देर उन्होंने मुझे किस किया और मेरी गर्दन पर अपने होंठों को मसलने लगे। मैं कामवासना से बेचैन हो गयी। समधी जी ने अपने एक हाथ को मेरे साड़ी के अंदर कर दिया जो मेरी चूत पर रुका, वे मेरी गर्म चूत को सहलाने लगे।

मैं कामुकता वश सीत्कारें भरने लगी.

 

वो बोले- समधन जी, आप तो बहुत चुदासी लगती हो?

मैंने उनको लंड को पकड़ते हुए बोला- हां समधी जी, आपने सही जाना है, मैं प्यासी ही हूँ।

‌उन्होंने अपने पजामे के नाड़े को खोल दिया और अपने लंड को मेरे हाथ में दे दिया. उनका लंड बहुत गर्म था और मोटा भी! मैं उनके लंड को सहलाने लगी. समधी जी का लंड मेरे हाथ में फड़क रहा था.

 

जब समधी जी से रुका ना गया तो वे अपने हाथों से मेरे ब्लाऊज के हुक खोलने लगे. धीरे धीरे सारे हूक खुल गए तो उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया। मेरे दोनों कबूतर खुली हवा में आ गये. वे मेरी चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगे, मसल मसल कर उन्होंने मेरी चूचियों को पहले तो नर्म कर दिया, फिर वासना से उत्तेजित होकर मेरी चूचियाँ और मेरे निप्पल सख्त हो गए. समधी जी अपने दोनों हाठों से मेरी दोनों चूचियां तेजी से दबाने लगे।

‌मैं बोलने लगी- आआह… धीरे दबाओ ना…

वो बोले- बड़ी मुश्किल से तुम आज ही तो मेरे हाथ लगी हो, आज तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा.

 

उन्होंने मेरे बड़े निप्पलों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे.

मैं बोलने लगी- सस्स… हां… समधी जी… पी लो अपनी समधन की जवानी को… आउच काटो मत… पियो!

 

दस मिनट उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को चूस चूस कर मसल मसल कर लाल कर दिया. फिर उन्होंने मेरी साड़ी उतार दी और मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोलने लगे.

मैं बोली मजाक में- समधी जी, अब मुझे चोदोगे भी क्या?

वो हंसते हुए बोले- हां… क्यों कोई शक?

मैं फिर मजाक में बोली- ऐसे अच्छा लगता है क्या? रिश्तेदारी में ये सब ठीक नहीं!

वो बोले- तो अब तक क्या मां चुदा रही थी?

‌मैं जोर जोर से हंसने लगी.

 

‌मुझे उन्होंने पूरी नंगी कर दिया और खुद भी पूरे नंगे हो गए और अपने लंड को मेरे मुंह में भरने लगे. मैं भी उनके लंड को मुख में लेकर मजा ले ले कर चूसने लगी।

वो बोल रहे थे- आआह सस्स ह्य्य्य्य… कितना अच्छा लंड चूसती हो तुम डॉलिंग! मजा आ गया! आह आह… हाँ… हाँ!

मैंने उनके लंड को मुँह में भरा हुआ था और उन्होंने बोला- मेरा माल निकल जाएगा।

 

मैं उनके लंड को मुंह में भर कर के फेंटने लगी, जब वो झड़ने लगे तो उन्होंने अपना लंड मेरे मुख से बाहर खींच लिया और उन्होंने अपने माल को मेरी चुचियों पर डाल दिया।

‌फिर वे लेट गए और ‌हाँफने लगे.

 

कुछ देर बाद फिर से वे मेरी चुचियों को अपने मुँह में भरने लगे, उन्होंने मेरी चूचियों के ऊपर से अपने ही माल को अपने होंठों से लगा लिया, फिर मुझे किस करने लगे. उनका माल मेरे मुँह में भी आ गया।

 

कुछ देर बाद वे बोले- समधन जी, अब हमें आपकी चूत को चाटना है!

मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ? आइये, आपका स्वागत है मेरी चूत में!

 

मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया और बोली- मेरे जानू, अपनी ही चूत समझना इसे आज से!

उन्होंने अपने मुँह को मेरी चूत पर रख दिया ‌और तेजी से चाटने लगे. मैं पागल सी होने लगी, मैं बोलने लगी- आआह समधी जी… सिसस्स… बस करो!

 

वो तेजी से मेरी चूत को चाट रहे थे, मैं चिल्लाते हुये बोली- अब चोदो भी राजा जी! पेलो मुझे राजा जी! अपनी रानी की चूत फाड़ दो जी!

फिर उन्होंने मुझसे बोला- कंडोम नहीं है मेरे पास! तुम्हारे पास है क्या?

मैं बोली- नहीं, मेरे पास भी नहीं है. तुम्हारे संधी जी तो मुझे चोदते ही नहीं तो कंडोम का क्या काम!

 

वो बोले- और अगर तुम प्रेग्नेंट हो गयी तो?

मैंने कहा- तो कर दो ना मुझे प्रेग्नेंट!

 

उन्होंने अपने लंड को मेरी गीली चूत टिकाया और एक झटके में मेरी चूत के अंदर कर दिया.

मैं दर्द और आनन्द से फड़फड़ाने लगी- ‌निकालो इसे… फट गई मेरी चूत!

वो जोश में आकर मुझे और जोर से पेलने लगे, मैं भी दर्द में भी मजा लेने लगी. उनके लंड ने मेरी चूत की गुफा को पूरा खोल दिया था और मेरी चूत ने लंड को पूरा जकड़ा हुआ था.

 

वो अपने लंड को पूरे जोश से मेरी चुत में अंदर बाहर कर रहे थे, मैं भी वासना से घिर कर बोल रही थी- आआआहह… उमआआआ… हां हां हां… हा चोदो मेरे राजा मेरी चूत को! हाय रे मर गयी।

वो बोले- आआह… कितनी गर्म चूत है तेरी!

फच्च फच्च!

 

“हा हाँ… आह… गयी मैं!” आआह कर के मैंने अपना रस छोड़ दिया लेकिन समधी जी अभी भी मुझे चोदने में लगे थे.

कुछ देर बाद वो बोले- मैं जाने वाला हूँ, कहाँ डालूं?

मैंने उनको बोला- मेरी बच्चे दानी में डाल दो राजा जी!

उन्होंने अपने रस को मेरी चूत में डाल दिया. मुझे लग रहा था कि गर्म पानी मेरी चूत में चला गया।

फिर वो मेरे ऊपर ही सो गए, मैं भी सो गई।

 

जब मेरी नींद खुली तो देखा कि समधी जी अभी भी सो रहे थे.

मैंने उठ कर कपड़े पहने और चाय बनाने चली गयी।

जब मैंने समधी जी को जगाया तो जगे।

 

फिर उन्होंने कपडे पहने और मैंने चाय दी।

 

वो बोले- समधन जी, तुम्हारी चूत मार कर मजा आ गया आज तो!

मैं बोली- मुझे भी आप के लंड से चुदवा कर बहुत अच्छा लगा।

 

वो फिर से मेरी चुचियों को मसलने लगे और बोले- अगली बार आपकी गांड मारूँगा।

मैंने भी हाँ कर दी।

 

फिर शाम को मेरे पति आये और समधी जी को ट्रेन पर छोड़ने गये।

 

फिर उसके बाद मैं रात रात को समधी जी से नेट पे खूब बातें करती रही।

 

एक दिन मेरे पति बोले- चलो आँचल से मिलने उसके घर चलते हैं।

मैंने कहा- ठीक है!

 

सुबह ही हम निर्मला के घर पहुँच गये। समधी जी मुझे देख कर मुस्कुराने लगे।

दिन का वक्त तो ऐसी ही खाने पीने और बतियाने में निकल गया.

 

रात उनके यहाँ सब छत पर लेटे थे गर्मी के चक्कर में… मैं भी वहीं लेट गयी।

 

आधी रात को सब नीचे जाने लगे, समधन जी बोली- चलो नीचे!

मैंने कहा- आप चलो, मुझे तो यहाँ अच्छा लगा रहा है, मैं अभी थोड़ी देर में आती हूँ।

 

वो मुझे नींद में समझ कर नीचे चली गयी। सब चले गए.

 

कुछ देर बाद समधी जी मेरे बिस्तर पर आकर लेट गए, मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगे, मैं भी उनसे चिपक कर उन्हें किस करने लगी।

 

उन्होंने मेरी मैक्सी ऊपर कर दिया मेरी मुझे अपनी ओर कर लिया मेरी चूत में लंड डालने लगे तो बोले- अरे यार ये तो सूखी पड़ी है!

मैंने कहा- आपने मुझे कौन सा गर्म किया जो ये पानी छोड़ती!

 

उन्होंने अपने थूक को मेरी चूत में डाला और अपने लंड को पेल दिया. मैं कमर उठा कर चूत चुदाई का मजा लेने लगी, आआह करने लगी.

वो मुझे मजे से चोदने लगे, मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था, वो बड़े आराम से मेरी चूत चोद रहे थे- आआह आआह आह सस्स… पट पट… सस्स्स हाह!

 

फिर कुछ मिनट बाद उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, बड़ी तेजी से मुझे चोदने लगे.

मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर उनके लंड को लेने लगी.

 

कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया और लगभग तभी उन्होंने भी अपना माल छोड़ दिया।

 

वे कुछ देर तक मुझे किस करते रहे, फिर वो बोले- अब गांड दो!

मैंने कहा- ले लो! मैंने कौन सा अपनी गांड पर ताला लगा रखा है!

 

उनका लंड खड़ा हो गया, उन्होंने मुझे उठाया और एक दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया, मेरी गांड में थूक लगा कर लंड मेरी गांड में पेलने की कोशिश करने लगे लेकिन लंड अंदर नहीं गया।

 

फिर कुछ देर बाद उन्होंने अच्छे से लंड को मेरी गांड के छेद पर टिकाया और जोर लगाया तो उनका लंड मेरी गांड में घुस गया।

मैं चिल्लाने लगी, उन्होंने मेरे मुंह पे हाथ रख दिया।

वे धक्के मारने लगे, मुझे बहुत दर्द होने लगा, कुछ देर बाद मुझे मजा भी आने लगा.

 

काफी देर तक उन्होंने मेरी गांड मारी, मैंने भी अपनी गांड उठा उठा कर मरवाई.

 

फिर मैं नीचे चली आयी और सो गई।

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