मजबूरी
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हैलो दोस्तो, मेरा नाम राज है मैं 21 साल का हूं.
मेरी हाइट 5 फीट 7 इंच है. मैं स्टडी करता हूं
मेरी बड़ी बहन की ऐज 23 साल की है, हाइट 5 फीट 4 इंच है और उसका साइज 28 34 36 है.
वह एकदम गोरी है, हीरोइन की जैसी है.
मैं राज हूँ और अपनी सगी बहन को चोदने की मस्त बहन चुदाई कहानी सुनाने आया हूँ.
यह बात तब है, जब दीदी की शादी के 6 महीने बाद जीजा जी अपनी जॉब पर अमेरिका चले गए थे.
दीदी का अपनी ससुराल में अकेले रहने में मन नहीं लगता था.
वे मुंबई में अपने फ्लैट में अकेली रहती थी.
उनकी सास ननद वगैरह शादी के बाद से ही कभी मुंबई रहने नहीं आई थीं.
दीदी ने मम्मी को फोन किया और बोलीं- राज के एग्जाम खत्म हो गए हैं तो उसको यहां मेरे पास रहने को भेज दो.
मम्मी मेरे पास आईं और बोलीं- तेरी दीदी का मन नहीं लग रहा है, वह तुझको अपने पास रहने के लिए बुला रही हैं.
मैंने भी सोचा कि एग्जाम खत्म हो गए हैं तो दीदी के पास जाकर थोड़ा मुंबई ही घूम लूँगा.
मैं अपनी तैयारी करके मुंबई अपनी दीदी के पास चला गया.
जब मैं मुंबई में दीदी के घर आया, तो मैंने उनके फ्लैट के दरवाजे की डोरबेल बजाई.
दीदी दरवाजा खोल कर बाहर आईं.
क्या मस्त लग रही थीं दीदी .. वे एकदम परी के जैसी लग रही थीं.
उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि जन्नत की कोई हूर धरती पर उतर आई हो.
मैं उन्हें देखता ही रह गया.
दीदी मेरी तरफ देख कर बोलीं- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- आपको देख रहा हूँ दीदी, आप कितनी बदल गई हो. सच में आप काफी सुंदर लगने लगी हो.
दीदी बोलीं- तुम शायद बहुत दिनों बाद देख रहे हो, इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है. ऐसी कोई बात नहीं है, मैं तो पहले के जैसी ही हूँ.
मैं अब भी बस उन्हें ही निहारे जा रहा था.
फिर दीदी बोलीं- अब देखते ही रहोगे या अन्दर भी आओगे!
मैं एकदम से अचकचा कर बोला- हां अन्दर ही आ रहा हूँ.
मैं अपना सामान लेकर उनके घर में अन्दर आ गया.
दीदी मुझे अपने कमरे में लेकर गईं और उधर ही मेरे सामान को रखवा कर बोलीं- तुम हाथ-पैर धो लो, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ.
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी .. मुझे बहुत तेज भूख लगी है. मैं सीधा खाना ही खाऊंगा.
दीदी ने हंस कर कहा- अच्छा तो तुम नहा लो और खाने की टेबल पर आ जाओ. मैं भी तुम्हारे साथ ही खा लूँगी.
मैं दीदी के कमरे के बाथरूम में फव्वारे के नीचे नंगे खड़े होकर खूब नहाया और लौड़े को सहला कर दीदी के गदराये हुए मम्मों को याद करके थोड़ी मस्ती की, मुठ नहीं मारी.
फिर हम दोनों ने एक साथ खाना खाया.
खाना खाते समय भी मैं दीदी को ही देख रहा था.
दीदी बोलीं- अब खाना भी खा ले, बाद में देख लेना.
मैं हंस दिया.
फिर हम दोनों ने खाना खा लिया और मैं दीदी से कह कर सो गया.
दीदी अपने कामों में लग गईं.
शाम को दीदी मुझे बाहर घुमाने के लिए ले गईं.
सब लोग दीदी को ही देख रहे थे.
यह देख कर मेरी झांटें सुलग रही थीं.
देर तक घूमने के बाद हम दोनों ने बाहर ही खाना खाया और घर आ गए.
अब थकान काफी हो गई थी तो हम दोनों कमरे में आ गए.
दीदी ने मुझसे बातें की कि तेरा एग्जाम सही गया ना!
मैंने उन्हें बताया कि हां सब एग्जाम सही गए हैं.
यही सब बातें करते हुए हम दोनों सो गए.
ऐसे ही दो दिन बीत गए.
मैंने महसूस किया कि मेरी दीदी कुछ उदास सी लग रही हैं.
मैंने दीदी से पूछा- क्या हुआ दीदी, आप उदास क्यों हो. क्या आपको जीजा जी की याद आ रही है?
दीदी बोलीं- नहीं रे, ऐसी कोई बात नहीं है.
फिर इसके आगे दीदी ने मुझसे कोई बात नहीं की.
मैं समझ गया था कि वे पक्के में उदास थीं और शायद जीजा जी को याद कर रही थीं.
मैं यह भी समझ गया कि उन्हें शायद एक मर्द की जरूरत थी, जो उनकी वासना को शांत कर सके.
उस रात उन्होंने मुझसे कोई बात भी नहीं की, वे मुँह फेर कर सो गईं.
मैंने भी कुछ नहीं कहा और सो गया.
जब मैं रात को 11:00 बजे बाथरूम जा रहा था, तब देखा कि दीदी बिस्तर पर नहीं है.
वे बाजू वाले कमरे में सोने चली गई थीं.
मैं उन्हें देखने के नजरिए से बाजू वाले कमरे में देखने को हुआ, तो उस कमरे के अन्दर से कुछ आवाजें आ रही थीं
मैंने सोचा कि दीदी अकेली क्यों हैं, उन्हें क्या हो गया है.
एक बार को तो मैंने यह भी सोचा कि शायद दीदी की तबीयत खराब हो गई होगी.
मैंने उस कमरे के करीब जाकर थोड़ा सा दरवाजा अलग किया, तो देखा.
अन्दर का नजारा देखते ही मैं भौंचक्का रह गया, मेरी आंखें फट गईं.
मैंने देखा कि दीदी अपनी साड़ी उठाकर अपनी चुत में उंगली कर रही थीं और वे आंखें बंद करके ‘आह ऊ आह ओह’ की आवाजें कर रही थीं.
मैंने उनकी चिकनी टांगें और खुला हुआ ब्लाउज देखा तो अपना होश खो दिया.
उनकी वह दशा देख कर मैं सोचने लगा कि दीदी ऐसे क्यों कर रही हैं.
मैं उन्हें चुत में उंगली करते देखता रहा.
दस मिनट बाद दीदी की चुत से पानी निकल गया और उन्होंने एक जोर की सांस ली.
शायद उनकी चुत शांत हो गई थी, जिससे उन्हें राहत मिल गई थी.
मैं उनके कमरे से हट कर अपने कमरे में जाने लगा, तभी मेरा पैर किसी चीज से टकरा गया और उस आवाज को सुनकर दीदी तुरंत होश में आ गईं.
उन्होंने मेरी तरफ देखा तो हम दोनों की आंखें मिल गईं.
फिर दीदी एकदम से तेज स्वर में बोलीं- राज, तू यहां क्या करने आया था?
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.
अब तक दीदी उठ कर मेरे पास आ गई थीं.
उन्होंने मेरे कान को जोर से पकड़ा और पूछा- सच सच बता .. यहां क्या कर रहा था?
मैंने उन्हें बताया कि मैं बाथरूम से आ रहा था, तब मैंने आपको देखा. आप अपनी साड़ी उठाकर कुछ कर रही थीं.
दीदी ने मुझे पकड़ा और कमरे में ले गईं.
मुझे बहुत डर लग रहा था.
मैं दीदी से माफी मांगने लगा.
दीदी बोलीं- आज के बाद ऐसा मत करना!
मैंने ओके बोला और दीदी से पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रही थीं दीदी? आपकी तो शादी हो गई है.
दीदी रोने लगीं.
मैंने उन्हें चुप कराया और पूछा कि बताओ न दीदी आप क्यों रो रही हैं!
तब दीदी ने कहा कि तेरे जीजा जी मेरे पास नहीं रहते हैं. मेरा सेक्स करने का बहुत मन करता है. मैं क्या करूं, कुछ समझ नहीं आता है. मैं किसी और से करवा भी नहीं सकती हूँ. मुझे डर लगता है कि कहीं वह मुझे ब्लैकमेल न करने लगे. आज कल के लड़के इसी तरह के होते हैं. पर क्या करूं अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती हूं. अब तो मुझे किसी को बुलाना ही होगा, या किसी को पटाना ही होगा. अब मैं सेक्स के बिना नहीं रह सकती.
मैंने दीदी से कहा- ये सब अच्छी बात नहीं होगी दीदी.
दीदी- राज, तू भी तो कल मुठ मार रहा था. तुम्हें वह सब करने की क्या जरूरत है?
मैं- नहीं दीदी, मैं बस ऐसे ही वह सब कर रहा था क्योंकि इधर मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है न .. मैं उसकी याद में मुठ मारता हूं.
दीदी- एक बात बोलूं राज, तुम मेरे अरमान पूरे कर दे. मैं तेरा हर तरह से साथ दूंगी, जो तुझको चाहिए होगा, वह मिल जाएगा और जो मुझे चाहिए वह मुझे मिल जाएगा.
मैं समझ तो गया था कि दीदी चुदाई के लिए कह रही हैं.
तब भी मैं बोला- वह कैसे दीदी? भाई बहन में यह सब गलत होता है.
दीदी बोलीं- कुछ गलत नहीं होता है. तू वैसे भी मेरे दूध ही ताड़ता रहता है. मुझे मालूम है कि तू मेरे साथ सेक्स करना चाहता है.
अब मैं भी पिघल गया था, तो मैंने कहा- दीदी मैं तो अगले कुछ दिन बाद घर चला जाऊंगा, तो आपकी समस्या पुनः वैसी की वैसी हो जाएगी!
दीदी- मैं मम्मी पापा से बात कर लूंगी और उन्हें बोल दूंगी कि राज अब यहीं से पढ़ाई लिखाई करेगा और मेरे साथ ही रहेगा क्योंकि मैं अकेली रहती हूं. तेरे जीजाजी ने भी मुझसे कहा था कि मैं तुमको यहीं बुला लूँ.
मैंने कुछ नहीं कहा.
दीदी- तेरे जीजा ने कल भी मुझसे फोन पर कहा है कि राज को मैं अपने पास रख लूँ. मैं अकेली कैसे रहूँगी. राज कोई बात नहीं है, तुम यहीं रहने लगो.
यह कह कर दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने मम्मों पर रख दिया.
मैंने दीदी को गले से लगा लिया.
अब वे मुझे बेहद मस्त माल लग रही थीं.
मैं उनके मम्मों से जब सटा, तो लौड़े में आग लग गई.
फिर मैंने दीदी को खूब चूमा और उन्हें बेड पर पटक दिया.
मैं किसी भूखे कुत्ते की तरह उनके होंठ चूमने लगा.
करीब दस मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूमा और जीभ भी चूसी.
अब मैं दीदी के बूब्स दबाने लगा, उनके पेट पर अपने होंठ फेरने लगा.
जब मैं दीदी की नाभि पर चूम रहा था, दीदी की उत्तेजना एकदम से बढ़ गई और उन्होंने मेरे नीचे से निकल कर मुझे अपने नीचे ले लिया.
अब दीदी मेरे ऊपर आ गई थीं.
वे भी मेरे होंठों को चूमने लगीं.
कुछ मिनट बाद दीदी ने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मेरे सीने को चूमने लगीं.
मैंने भी उनके ब्लाउज को निकाल कर दूर फेंक दिया.
आह … क्या मस्त माल हाथ लगा था.
उनके दोनों दूध एकदम खरगोश की तरह मुलायम और भरे हुए थे.
मैं दीदी के दोनों दूध सहलाने लगा.
मुझे मजा आ गया.
मैंने दो मिनट तक दीदी के दोनों मम्मों को खूब दबाया.
दीदी आह ओह कर रही थीं.
मैंने दीदी को वापस अपने नीचे किया और उनके मम्मों को पीने लगा.
दीदी ‘आ ओह’ की आवाजें निकाल रही थीं.
अब दीदी ने मेरी पैंट का हुक खोल दिया और उसे हटा कर मेरा लंड मुँह में ले लिया.
वह किसी भूखी कुतिया की तरह लंड चूसने लगीं और मैं आह आह करने लगा.
दीदी ने करीब दस मिनट तक मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसा था.
फिर मैंने कहा कि अब मुँह से निकाल कर चुत में ले लो दीदी, उसकी प्यास तो बुझानी है या नहीं!
दीदी हंस कर बोलीं- हां उसी निगोड़ी की आग को तो बुझाने के लिए तेरे लौड़े को खड़ा किया है.
मैंने जल्दी जल्दी दीदी के सारे कपड़ों को हटा दिया और देखा कि दीदी ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी.
मुझे याद आया कि जब दीदी अपनी चुत में उंगली कर रही थीं तब शायद उन्होंने पैंटी उतार दी होगी.
अब मैंने दीदी की चुत को देखा तो वह बिल्कुल गुलाब के फूल की तरह गुलाबी थी. चुत पर एक भी बाल नहीं थे.
शायद दीदी ने सुबह ही अपनी चुत के बाल साफ किए होंगे.
मेरी दीदी ब्लू फिल्म की हीरोइन जैसी खूबसूरत माल लग रही थीं.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और मैं दीदी की चुत को चूसने लगा था.
दीदी अपनी गांड उठा उठा कर मेरे मुँह में अपनी चुत दे रही थीं.
साथ ही वे मेरे मोटे लौड़े को अपने गले तक लेकर चूस रही थीं.
हम दोनों एक दूसरे के आइटम चूस रहे थे.
फिर हम दोनों के लंड चुत से पानी छूट गया.
हम दोनों निढाल हो गए और सीधे होकर वापस एक दूसरे को किस करने लगे.
कुछ मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा.
मैंने एक बार पुनः दीदी के मुँह में लंड दे दिया.
वे लंड चूसने लगीं.
कुछ पल लंड चूसने के बाद दीदी बोलीं- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा राज, अब और मत तड़पा!
मैंने दीदी की टांगों को ऊपर उठाया और चुत पर थूक लगा कर लंड अन्दर डालने लगा.
लेकिन मेरा मोटा लंड दीदी की चुत में घुसने की जगह नीचे को फिसल गया और उनकी गांड के छेद को चूम कर रह गया.
दीदी को गांड में गुदगदी हुई और वे हंस कर बोलीं- उधर नहीं मेरे भाई .. उधर अभी रास्ता जाम है.
यह कह कर दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और अपनी चुत की फाँकों के बीच में सैट कर दिया.
वे बोलीं- हां अब धक्का मारो!
मैंने एक जोरदार धक्का दे मारा और मेरा आधा लंड उनकी चुत को चीरता फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
एकदम से चुत फटी तो दीदी चिल्ला उठीं- आह मर गई … आह मम्मी रे मेरी फट गई.
वे रोने लगीं.
मैंने कुछ नहीं कहा.
वे तड़फ कर बोलीं- आह राज मेरी जान मार दिया तूने.
मैंने पूछा- दीदी, शादी के बाद आपकी तो फट चुकी होगी, पर इतना दर्द क्यों हो रहा था.
तब दीदी बोलीं- तेरे जीजा जी का टूल केवल 4 इंच का है और तूने अपना हथियार देखा है. साले तेरा लंड तो 8 इंच का है. उनसे डबल है और बहुत मोटा भी है.
मैंने समझ लिया कि दीदी की चुत ने लंड को जज़्ब कर लिया है तभी ये इतनी चुदुर चुदुर कर रही हैं.
मैंने उनके एक दूध को मुँह में भरा और पोरी ताकत से फिर से एक करारा धक्का दे मारा.
दीदी थरथरा गईं. क्योंकि इस बार मैंने अपना पूरा लंड चुत की गहराई में डाल दिया था.
वे बोलीं तो कुछ नहीं बस मेरे बाल पकड़ कर अपने सीने पर दबाती हुई अपनी कसमसाहट को खत्म करने की कोशिश करने लगीं.
फिर हम दोनों एक मिनट तक यूं ही रुके रहे.
अब दादी अपनी गांड उठाने लगी थीं तो मैं समझ गया कि दीदी धक्का देने का इशारा कर रही हैं.
मैं फिर से धक्का देने लगा.
दीदी मजे से आह ओह ओह कर रही थीं.
मैं उनके बूब्स को चूसता हुआ उनकी चुत में लंड के धक्के मार रहा था.
दोस्तो, मजा आ गया था. साला जिंदगी का सबसे बड़ा सुख यही है.
कुछ मिनट बाद दीदी मेरे ऊपर आकर लंड पर बैठने को बोलीं.
मैंने ओके कहा और पोज बनाया. वे मेरे लौड़े को चुत में लेकर बैठ गईं.
लंड अन्दर तक खा कर दीदी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवाने लगीं.
दीदी अपनी गांड उठा कर चुद रही थीं और मुझसे अपने दूध चुसवाने के लिए बारी बारी से दोनों मम्मों को खिंचवा खिंचवा कर चुसवा रही थीं.
सच में जिंदगी में चुत चुदाई के साथ चूची चूसने का मजा सबसे मस्त लगता है.
यह करने में लड़की और लड़के दोनों को मजा आता है.
कुछ मिनट बाद मैंने दीदी से कहा कि दीदी अब आप घोड़ी बन जाओ.
दीदी बोलीं- गांड में मत करना.
मैं बोला- नहीं दीदी जब तक आप खुद से गांड मारने की नहीं कहोगी, मैं नहीं मारूँगा.
फिर वे घोड़ी बन गईं और मैं पीछे से लंड को उनकी चुत में डाल कर उन्हें चोदने लगा.
आह मजा आ गया.
दीदी भी मस्ती से बोल रही थीं- आह मजा आ रहा, तुम्हें मजा आ रहा है न राज!
मैं बोला- हां दीदी.
दस मिनट चुत चोदने के बाद दीदी ने कहा कि मैं दो बार झड़ चुकी हूँ. तेरा कितनी देर में होगा?
मैं बोला- दीदी, बस मेरा भी टपकने वाला है, आप बताओ, कहां गिराऊं?
दीदी बोलीं- मेरे मुँह में आ जाओ.
मैंने चुत से लंड निकाला और दीदी के मुँह में लंड दे दिया.
दीदी ने लंड को चूस कर उसका रस चूस लिया.
वे सारा रस पी गईं और बोलीं कि मेरा भी झड़ गया है.
मैं समझ गया कि ये अपनी चुत चाटने के लिए कह रही हैं.
मैं दीदी की टांगों के बीच में सर लगा कर उनकी चुत को चूसने लगा.
उस रात हम दोनों ने 3 बार सेक्स किया और हर बार मैंने अपनी दीदी को हचक कर देर देर तक चोदा.
फिर जब हॉटX बहन चुदाई करके थक गए तो हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.
जब सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि दीदी नहा कर मेरे लिए चाय लेकर आई थीं.
वे मुझे आवाज लगा कर जगाती हुई कह रही थीं- हसबेंड जी, चाय पी लो.
चाय पीकर मेरा फिर से मूड बन गया और मैंने दीदी को पकड़ कर खींच लिया. इस बार मैंने उनके कपड़ा खोले बिना ही बस उन्हें घोड़ी बनाया और साड़ी पेटीकोट को उठाकर उनकी पैंटी को एक बाजू सरका कर लंड पेल दिया.
दीदी आह आह करती रह गईं और मैंने उन्हें चोद दिया.
लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैंने उनकी चुत में ही वीर्य टपका दिया.
दीदी को इस तरह से चुदने में बहुत दर्द हो रहा था.
वे बोलीं- मेरी चुत का हाल तो देख लो एक बार, सारी रात और आज सुबह से चोद कर तुमने इसका क्या हाल किया है.
मैंने चुत को देखा, तो सच में एकदम लाल हो गई थी और पावरोटी की तरह फूल गई थी.
मैं हंस दिया और नहाने चला गया.
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